धूमिल: एक ठेठ कवि (Dhoomil:Ek Theth Kavi) एक हिंदी काव्य संकलन है जो कवि धूमिल (असली नाम सुदामा पांडे) के जीवन और उनकी कविताओं पर आधारित है। धूमिल 20वीं सदी के प्रमुख हिंदी कवियों में से एक थे, और उनकी रचनाएँ समाज की विद्रूपताओं, राजनीति की विडंबनाओं, और समय के सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर तीखे प्रहार करती हैं।
धूमिल का जीवन परिचय:
पूरा नाम: सुदामा पांडेय
‘धूमिल’
जन्म: 9 नवंबर, 1936, उत्तर
प्रदेश,
भारत
मृत्यु: 10 फरवरी, 1975, भारत
मुख्य रचनाएँ: 'संसद से सड़क तक', 'कल सुनना मुझे'
धूमिल की कविता का स्वरूप:
धूमिल की कविताएँ अपनी साफगोई
और सच्चाई के लिए जानी जाती हैं। उनकी कविताओं में एक किस्म की विद्रोही भावधारा
और क्रांति की गूँज सुनाई देती है। उनकी रचनाएँ सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था की
नीतियों और उनके द्वारा उत्पन्न असमानताओं पर कटाक्ष करती हैं।
"एक ठेठ कवि" के रूप
में,
धूमिल ने अपने लेखन में लोकभाषा, सामान्य बोलचाल की भाषा, और क्रांतिकारी तेवर को अपनाया। उनके काव्य में कथ्य और शिल्प की स्पष्टता और
सहजता उनकी विशेषता है।
धूमिल की प्रमुख कविताएँ:
मोचीराम: यह कविता एक मोची की कहानी के माध्यम से समाज की भिन्नता, वर्ग संघर्ष और निहित शोषण को दर्शाती है।
पटकथा: इस कविता में व्यवस्था के प्रति असंतोष और क्रोध साफ झलकता
है,
जहां धूमिल ने राजनीतिक भ्रष्टाचार और नैतिकता के पतन को
उजागर किया है।
सभ्यता का बूचड़खाना: यह कविता भी समाज की विकृतियों और विडंबनाओं पर गहरे
प्रहार करती है।
"धूमिल:
एक ठेठ कवि" पुस्तक:
यह पुस्तक धूमिल की कविताओं के
साथ-साथ उनके जीवन पर आधारित लेखों का संग्रह है। इसमें धूमिल की रचनात्मकता, शैली, और उनकी
कविताओं के विविध पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई है।
धूमिल को "एक ठेठ
कवि" कहा जाता है क्योंकि उनकी कविताएँ उनके जीवन के अनुभवों का स्पष्ट और
कठोर प्रतिबिंब हैं। उनकी लेखनी में जो कड़वाहट और क्रोध है, वह समाज में होने वाले अन्याय और शोषण के प्रति उनकी सच्ची
प्रतिक्रिया है।
0 Comments
Post a Comment
Please do not add any spam link in the comment box.