5 December 2018 : London
क्या आपने कभी सोचा
था की एक हेल्थ एप पुलिस की तहकीकात में मदत कर सकता है ? नहीं? लेकिन यह सच है. विज्ञान और तंत्रज्ञान ने हमारे पुरे जीवन
को अपने कब्जे में ले लिया है जिसके लिए हम उसे कभी कभार कोसते भी है. लेकिन वही
तंत्रज्ञान जब किसी खुनी को पुलिस के कब्जे में दे देता है तब हमें उसका धन्यवाद
भी करना चाहिए. तंत्रज्ञान की ही एक उपज, एक हेल्थ एप ने
इंग्लॅण्ड में एक भारतीय वंश का व्यक्ति मितेश पटेल को अपनी ही बीवी जेसिका पटेल
की हत्या के जुर्म में टीसाईड क्राउन कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. मितेश
पटेल ने यह प्रतीत करने की पूरी कोशिश की थी की यह हत्या चोरी के उद्देश्य से घर
में घुसे चोरोने की है. लेकिन मितेश और जेसिका दोनों के मोबाइल फोन पर डाउनलोड
किये हुए हेल्थ एप ने उसकी पोल खोल दी.
मितेश और जेसिका : स्वार्थ जिसने सपने को रौंद दिया |
१४ मई २०१८ के रात ८.२० बजे क्लेवलैंड पुलिस को किसी हत्या के बारे में एक कॉल आया. पुलिस मौका – एक – वारदात पर पोहोंचने पर पता चला की वह कॉल मितेश पटेल ने किया था और उसकी बीवी जेसिका मृतावस्था में घर के हॉल में पड़ी थी. पुलिस ने जेसिका के पार्थिव का निरीक्षण किया तब प्राथमिकी जाँच में पता चला की शायद उसकी मृत्यु गला घोटने से हुई है. मितेश गंभीर था. पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू की तो उसने बताया की वो उसकी बीवी जेसिका के साथ थोड़ी देर पहले ही केमिस्ट की शॉप से घर लौटा था और कुछ खरीदने के लिए बाहर गया था. जेसिका घर में अकेली थी. मितेश घर लौटा तो जेसिका मृतावस्था में पड़ी थी और घर का सामान तितर बितर पड़ा था. अलमारी भी खुली पड़ी थी. पुलिस ने घर के आसपास के सारे इलाके को प्रतिबंधित किया और अपनी तहकीकात शुरू कर दी.
पुलिस ने जेसिका के
फ़ोन के बारे में मितेश से पूछा लेकिन मितेश को पता नहीं था की जेसिका का फोन कहाँ
है. पुलिस ने जेसिका के फोन पर कॉल किया तब उसकी आवाज लॉन से आई. पुलिस वहाँ गए तो
लॉन के घास पर फोन पड़ा मिला. पुलिस ने लॉन से मिली बाकी चीजे भी बरामद कर ली
जिसमें टेस्को सुपरमार्केट की प्लास्टिक बैग भी थी. लेकिन काफी रात हो चुकी थी
इसलिए उन्होंने जेसिका और मितेश के फोन्स बरामद कर लिए, जेसिका का शव चिकित्सा के लिए भेजा और तय किया की आगे की तहकीकात वो दुसरे दिन
सुबह से जारी रखेंगे.
सुबह पुलिस मितेश के
घर आई और तब मितेश से पूछताछ शुरू कर दी. मितेश और जेसिका के फ़ोन में कई तरह के
अॅप्स थे. उसमें एक हेल्थ एप भी था. पुलिस मितेश के फ़ोन में एक और अॅप था और वो
था Grindr. यह एप समलिंगी पुरुषों के लिए है. पुलिस ने इसकी
सिरे से जाँच की तो पता चला की मितेश समलिंगी है और उसके कई पुरुषों के साथ संबंध
है. एक और अहम बात पता चली की ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले डॉ. अमित पटेल के साथ
मितेश के बोहोत गहरे संबंध है. मितेश के मोबाइल और लैपटॉप पर गूगल के जरिये किये
हुए कुछ शोध मिले जैसे के “मुझे बीवी का क़त्ल करना है,” “इन्सुलिन का ओवरडोस” “बीवी को मारने की साजिश, क्या मुझे इसमें किसी साथी जरुरत है?”, “युके में हिटमैन को सुपारी देना” “कितना मेथाडोन आपको मार सकता है?” इत्यादि. इस सब से
पुलिस को मितेश पर शक हुआ और पुलिस ने उससे कड़ी पूछताछ शुरू की लेकिन वो टस से मस
नहीं हुआ.
जाँच में पुलिस को
पता चला की ८ साल से जेसिका और मितेश बच्चे के लिए कोशिश कर रहे है और जेसिका
आयवीएफ के जरिये इलाज करवा रही थी. डॉक्टर से पता चला की जेसिका ३ बार आयवीएफ करवा
चुकी है और उसका डिम्ब (Ovum) लेबोरटरी सुरक्षित रखा गया है.
मितेश और डॉ. अमित
पटेल के संवाद जाँच में पता चला की मितेश ने अमित से पूछा था, “क्या तुम इस बच्चे को अपनाओगे?” पुलिस के सरे जाँच की सुई मितेश पर जाके अटक रही थी.
आखिरकार पुलिस को वो
सबूत मिला जिसे मितेश चाह कर भी नकार नहीं सका. पुलिस ने जेसिका और मितेश के हेल्थ
अॅप से दोनों की दिन भर की एक्टिविटी चेक की. जिसमे पता चला की १४ मई २०१८ को रात
८ बजे के दौरान मितेश की एक्टिविटी कहीं बाहर नहीं बल्कि घर के अन्दर और बाद में
घर के आसपास चलने की दिखा रहा था. उसका चलना असहज रूप से जलद गति था जैसे वो किसी
जल्दी में हो. जब की जेसिका का चलना सिर्फ १४ कदम दिखा रहा था. इसके आलावा जेसिका
की एक्टिविटी स्थिर थी. मितेश की अलमारी तो खुली थी लेकिन अलमारी से किसी सामान की
चोरी होने के बारे में मितेश ने कोई पुष्टि नहीं की. चोर अगर अलमारी खोलते तो कुछ
चोरी जरुर करते लेकिन ऐसी कोई बात मितेश ने नहीं की. पुलिस के जबरन पूछने पर उसने
अपना गुनाह कबुल किया.
मितेश ने कहा की उसे
डॉ. अमित पटेल के साथ ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट होना था. जेसिका उसके लिए सिर्फ बच्चा
देने का एक जरीया थी. तिन बार आयवीएफ करवाने के बाद चौथी बार वो इसके लिए रेडी
नहीं थी. क्यूँ की उसे पता चल चूका की
मितेश और डॉ. अमित पटेल के संबंध है. इसलिए उसे रस्ते से हटाना जरुरी हो गया था.
उसे रस्ते से हटा ने के लिए उसने कोशिशे शुरू की. और १४ मई २०१८ को उसने अपने
मनसूबे को अंजाम दिया. डिटेक्टिव सुपरिंटेंडेंट तारिक अली ने पूरी वारदात के बारे
में प्रेस को बताया.
डिटेक्टिव सुपरिंटेंडेंट तारिक अली |
मितेश ने बताया की उसने जेसिका का डिम्ब उसके पास है और वो उसे सरोगसी के तहत जनम दे सकता था. साथ ही जेसिका की २ लाख पौंड की इन्शुरन्स पॉलिसी है, जेसिका के आकस्मिक मृत्यु के बाद वो उसके लिए भी दावा कर सकता था. पुलिस ने मितेश पटेल को हिरासत में लिया है. और ४ डिसेम्बर २०१८ को टीसाईड क्राउन कोर्ट ने उसे उम्र कैद भी सुनाई.
इन्सान कितना भी चाहे की उसे गुनाह करते वक्त कोई देख नहीं रहा लेकिन कोई होता
है जो उसपर नज़र रखता है और वक्त आने पर उसकी गुनाह की पोल भी खोल देता है. जेसिका
और मितेश के फोन में लगे हेल्थ एप ने यह काम बखूबी निभाया.
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